उज्जैन में बढ़ता कोरोना प्रकोप स्कूल खुलने से बच्चे हो सकते है बड़ी संख्या में संक्रमित लेखन एवं संकलन मिलिन्द्र त्रिपाठी कोरोना वायरस के इस जटिल दौर में स्कूल खुलने चाहिए या नहीं ? आज का यह सवाल सबसे बड़ा है । सरकार स्कूल खोलने के पहले आंकड़ो पर गौर कर लें । दुनिया के किसी भी स्कूल में बच्चों के बीच दूरी नही रखी जा सकती । चाहे बच्चे 9 वी से 12 वी तक के ही क्यो न हो ? क्या हर बच्चे के लिए अलग टॉयलेट बनाया जाएगा ? क्या टॉयलेट में लगा नल कोरोना संक्रमण का खतरा नही बढ़ाएगा ? क्या दरवाजे ,फर्नीचर पर बच्चे हाथ नही लगाएंगे ? क्या स्कूल बस का हैंडल छुए बिना बच्चे उतर चढ़ पाएंगे ?
क्या हर बच्चे को सेनेटाइजर की बॉटल दी जाएगी ? क्या बच्चे कॉपी, पेन, पेंसिल ,किताब का आदान प्रदान आपस मे नही करेंगे ? क्या बच्चे लंच टाइम में आपस मे खेलेंगे नही ?इतने अधिक बच्चों पर निगरानी रखेगा कौन ? भारत मे अनेक स्कूल तो इतने छोटे परिसर में संचालित होते है कि वहां शारीरिक दूरी का पालन संभव ही नही है ? मध्यप्रदेश सरकार ऐसे समय स्कूल खोलने जा रही जब मध्यप्रदेश में कोरोना वायरस का संक्रमण बेकाबू हो चुका है। रोज हजारों की संख्या में नए मामले आ रहें है ।राज्य में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बहुत तेजी से एक लाख का आंकड़ा पार कर गई है। इसी तरह की गलतीं अमेरिका ने की थी ।
क्या अमेरिका से सबक नही लिया जा सकता :-
अमेरिका में स्कूल खुले तो 97 हजार बच्चे कोरोना संक्रमित हो गए । अमेरिका में एक रिपोर्ट पर पूरी दुनिया को गौर करने की जरूरत है। जिसके मुताबिक जुलाई के अंतिम दो हफ्तों में पूरे अमेरिका में 97 हज़ार से ज़्यादा बच्चे कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं । यह एक चौकाने वाला आंकड़ा है । जबकि अमेरिका के मुकाबले भारत मे यह आंकड़ा लाखो तक आसानी से पहुंच जाएगा ।रिपोर्ट को देखने के बाद विशेषज्ञ राय दे रहे हैं कि अमेरिका में अभी स्कूल नहीं खोले जाने चाहिए । हालांकि अमेरिका के कुछ राज्यों ने स्कूल खोलने की अनुमति दे दी है । जहां ये डर सच साबित हो रहा वहां बच्चों में कोरोना संक्रमण बहुत तीव्र गति से फैल रहा है ।
जरूरी नही की अन्य देशों से सबक नही लिया जा सकता । इस रिपोर्ट्स को ध्यान में रखकर हमारे देश के बच्चों को इस भयानक संक्रमण से बचाया जा सकता है । जान है तो जहान है । संयुक्त राष्ट्र की संस्था UNICEF और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक रिसर्च स्टडी की ।
इस रिपोर्ट में भी बेहद परेशान कर देने वाला सच सामने आया है । रिपोर्ट में कहा गया है कि विश्व के करीब 43 % स्कूलों में बच्चों के लिए साबुन से हाथ धोने की सुविधा नहीं है ।विश्व के करीब 24 % स्कूलों में हाथ धोने के लिए न पानी उपलब्ध है और न ही साबुन ।जबकि 19 % स्कूलों में पानी तो उपलब्ध है लेकिन साबुन की सुविधा बिल्कुल उपलब्ध नहीं है । यानी दुनिया के हर पांच में से दो स्कूलों में साबुन से हाथ धोने की सुविधा उपलब्ध नहीं है । जो कोरोना से बचने के लिए बेहद ज़रूरी है ।
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि दुनिया के 42 प्रतिशत माध्यमिक स्कूलों और 56 प्रतिशत प्राथमिक स्कूलों में हाथ धोने की उचित सुविधा बिल्कुल नहीं है ।
ग्रामीण क्षेत्रों में हालत और भी ज़्यादा भयानक है । जहां तीन में से दो स्कूलों में साबुन से हाथ धोने की व्यवस्था ही नहीं है । कोरोना महामारी काल की वजह से पूरी दुनिया में स्कूलों को बंद करना पड़ा । जिससे 190 देशों में 150 करोड़ से ज़्यादा विद्यार्थी प्रभावित हुए हैं । संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट के मुताबिक अगर हाथ धोने की उचित व्यवस्था किये बिना स्कूल दोबारा खोल दिये गये तो इससे दुनियाभर में करीब 82 करोड़ बच्चों के कोरोना महामारी से संक्रमित होने का ख़तरा है । भारत मे स्थिति और डरावनी है सरकारी स्कूल की हालत छुपी नही है । अनेको प्राइवेट स्कूल भी जुगाड़ से चल रहे है । स्कूल में यदि एक कोरोना संक्रमित बच्चा पहुंच गया तो बच्चों के माध्यम से एक साथ उनके परिवार भी चपेट में आ जाएंगे ।
माता पिता की सहमति के लिए बच्चे उनसे जिद्द कर सकते है । या स्कूल वाले फोन करके प्रेशर बना सकते है । स्कूल खुलते ही फीस वसूली के अभियान भी तेज हो जाएंगे । चाहे बच्चा स्कूल जाए या न जाये लेकिन उससे फीस पूरी वसूली जाएगी ।
उत्तरप्रदेश सरकार से सबक ले मध्यप्रदेश सरकार -:
कोरोना वायरस संक्रमण के दौरान अनलॉक 4.0 में भले ही केंद्र सरकार की गाइडलाइन में कंटेनमेंट जोन के बाहर 21 सितंबर 2020 से कक्षा 9 से 12 तक के स्कूल खोलने की अनुमति दी गई है, लेकिन उत्तर प्रदेश में स्कूल नहीं खुलेंगे। यूपी सरकार के फैसले का सभी ने स्वागत किया है । इस फैसले के बाद से सरकारी स्कूल ओर सभी प्राइवेट स्कूल प्रदेश में बढ़ते कोरोना वायरस संक्रमण के कारण फिलहाल अभी नहीं खुलेंगे।
लेखन एवं संकलन मिलिन्द्र त्रिपाठी




लेख ओर विचार ऐसे है कि वास्तव में विचारणीय है
ji thank you