किसानों की आय दोगुनी कैसे हो इस पर जन सरकार ने एक विशेष रूपरेखा बनाई है. इस रूपरेखा में किसान अपनी आय दोगुना कैसे कर सकता है इस पर जन सरकार अपने नीजी कार्यक्रम व ब्लॉग के माध्यम से आज की विपरीत स्थिति में भी किसानो की आय बढ़ाने के उपाय बताएगा, यह रूपरेखा सरकार द्वारा गठित कमेटियों एवं महान कृषि विशेषज्ञ के खोज एवं रिपोर्ट और पर्सनली किसानों के अनुभव के तर्ज पर तेयार की गई है|
सरकार द्वारा किसानों की आय दुगनी करने के लिए कई तरह की योजनाओ का एलान किए जाते हैं, किंतु वह जमीनी हकीकत पर लगभग 90 फ़ीसदी योजनाएं गलत साबित होती हैं. उन योजनाओं से किसानों की आय में कुछ फर्क नहीं पड़ता अपितु और सरकारी बजट मैं घाटे का सौदा होता है|
इसीलिए जन सरकार की मुहिम में ऐसे उपाय आपको सुझाए जाएगे कि जो जमीनी हकीकत से जुड़े हुए हैं और किसानों की निजी अनुभव से यह उपायों को तैयार किया गया है|
पहला उपाय
1 उत्पादन बढ़ाना-
वर्तमान स्थिति में किसानों में आधुनिक शिक्षा के अनुभव के कारण वे अपने परंपरागत बीजों को ही बोते आ रहे हैं. जिनके उत्पादन आज के आधुनिक और हाइब्रिड बीज की तुलना में काफी कम है ऐसे में किसानों को नई तकनीक के हाइब्रिड बीजों का बोते समय इस्तेमाल करना चाहिए, और महत्वपूर्ण बात यह है कि बुवाई करते समय बीज उपचार जरूर करना चाहिए, क्योकि जो बिज बीज अंकुरण की स्थिति में ना होता है वह भी उपचारित होकर अंकुरण की स्थिति में आ जाता है|
2 कम खर्च में हाइब्रिड बीज की खेती कैसे करें-
नाबार्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार देश के 52% किसान कर्ज के बोझ तले दबे हैं, और हाइब्रिड बीज भी महंगे होते हैं कई किसानों के पास हाइब्रिड बीज खरीदने का भी बजट नहीं होता है. ऐसे में उनके पास परंपरागत बीज बोने का ही विकल्प होता है|
किसान एक उपाय आजमाकर कम लगत मूल्य में हाइब्रिड बीज की खेती कर सकता है. हालांकि इसमें समय लगेगा पर शुरुआत अभी से कर दी कर दी जाए तो आने वाले कुछ ही समय में हाइब्रिड खेती की जा सकती है,
3 हाइब्रिड बीच तेयार करे-
अपनी क्षमता अनुसार बीच को मार्केट से लाकर उनकी अलग से बुवाई की जाए जब फसल पक कर तैयार हो जाए तो फसल को बेचे नहीं उन बीजों को एकत्र कर विशेष देखभाल करे ताकि आने वाले समय में उन हाइब्रिड बीज को पुनः बुवाई की जा सके. बिज की पुनः बुवाई करके अधिक मात्रा में हाइब्रिड बीजों का संग्रहण कर सकते हैं|
4 हाइब्रिड बीज की खेती से आय दुगनी करें-
वर्तमान समय में किसानों के पास अच्छे और उत्तम बीच के कमी है. और ऐसे में हाइब्रिड बीज को तैयार करके अच्छी खासी कमाई की जा सकती है,और साथ ही अपनी आय दोगुना किया जा सकता हे,
सामान्य फसल की तुलना में हाइब्रिड बीज अधिक मूल्य में बिकता हे, हाइब्रिड बीज से फसलोत्पादन भी अधिक होता हे| बीजों को बेचकर किसान अपनी आय आसानी से बढ़ा सकते हैं, सामान्य बीज की तुलना में हाइब्रिड बीज अधिक महंगे होते हैं इसीलिए किसानों की आय दोगुनी करने का यह बेहद ही उचित विकल्प है|




दूसरा उपाय
1 कम लागत वाली फसलों को बोना-
यह उपाय केवल छोटे और सीमांत किसानों के लिए हैं. कुछ किसान के पास पर्याप्त पानी व संसाधनों का अभाव होता है ऐसे में वे अधिक लागत वाली फसल की खेती करते हैं. जिसके कारण लागत मूल्य और अधिक बढ़ जाता है और आय बहुत कम हो जाती है. ऐसे में सीमांत किसानों को उन फसलों को न बो कर कम लागत वाली फसलों को बोना चाहिए,
कई क्षेत्रों में पानी की अधिक कमी होती है ऐसी स्थिति में कम सिंचाई वाली फसलों को लगाना चाहिए जिससे उत्पादन में कमी ना आए और कृषि के साथ-साथ पशुपालन,हाइब्रिड बीज को तैयार करना आदि कार्यो को भी करना चाहिए. सीमांत और छोटे किसानों को अपने क्षेत्र के अनुसार मिश्रित खेती करना चाहिए|
2 लागत को मेंटेन करें-
कई किसान ऐसे होते हैं जो अधिक मात्रा में लागत पर निवेश करते हैं और अंत में उनकी आय लागत के बराबर भी नहीं हो पाती है. ऐसे किसानों को सूझबूझ के साथ लागत को मेंटेन करना चाहिए लागत को मेंटेन कैसे करें जानने के लिए आप हम से भी संपर्क कर सकते हैं.अगर फसलों की लागत में कुछ कमी कर दी जाए तो मेरा दावा है किसानों की आय निश्चित ही बढ़ेगी|
3 लागत मूल्य को कैसे कम करें-
कई किसानों के साथ पूछताछ करने पर पता चला कि सबसे ज्यादा लागत खाद बीज और कीटनाशक दवाइयों से होती है. ऐसे में किसान इन तीनों चीजों को मेंटेन करें तो आसानी से लागत मूल्य कम हो सकती है,
लागत कम करने के लिए किसान भाई रासायनिक खाद की जगह जैविक खाद का प्रयोग करें जिससे लागत में तो कमी होगी ही साथ ही साथ भूमि सुधार भी होगा और अधिक मात्रा में जैविक खाद का कारोबार तैयार होने पर यह आय का जरिया भी बन सकता है.
जैविक खाद से भी अपनी आय को दोगुना किया जा सकता है|
वर्तमान स्थिति में रासायनिक खाद का प्रचलन बहुत अधिक है. रासायनिक खाद से उत्पादन से ज्यादा नुकसान होता हे,क्योकि यह भूमि को अम्लीय बना देता हे जिससे उत्पादन क्षमता घट जाती हे|