हिंदुओं की आस्था का अपमान: न्यायपालिका और संसद दे ध्यान
-प्रो. चिंतामणि मालवीय
भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष
देश में कुछ कट्टरपंथी बुद्धिजीवीयो का हिन्दुओ की आस्था के साथ खिलवाड़ करना शगल बन गया है। अभिव्यक्ति के नाम पर हिंदू देवी देवताओं का अपमान बार बार किया जाता है ।
भारत विविधताओं से परिपूर्ण बहुरंगी राष्ट्र है । यहां नस्ल गत भाषाई भौगोलिक सांस्कृतिक धार्मिक विविधताओं की भरमार है ।
सहिष्णुता और सामंजस्य राष्ट्र और समाज का मूल है । इस राष्ट्र के मूल में ही सहिष्णुता सर्वधर्म समभाव वैचारिक सामंजस्य समाहित है । किंतु आजादी के बाद से कुछ लोगों द्वारा बहुसंख्यक हिंदू समाज पर वैचारिक और आस्था पर कुठाराघात निरंतर जारी है ।
अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर बहुसंख्यक और धार्मिक रूप से बहुत ही सहनशील हिंदू समाज की आस्थाओं को निरंतर अपमानित और प्रताड़ित किया जा रहा है।
चाहे वह एम एफ हुसैन की पेंटिंग हो या फिल्म जगत हिंदुओं के देवी देवताओं का गलत चित्रण करके उनका मजाक बनाया जा रहा है । परिणाम स्वरूप परम सहिष्णु हिंदू समाज आज उद्वेलित है, आक्रोशित है ।
शुद्ध है कला के नाम पर असामाजिक तत्वों द्वारा निरंतर उकसावे की कार्रवाई की जा रही है । कभी वह माय गॉड और पीके जैसी फिल्में आती है तो । कभी किसी वेब सीरीज में सैनिक की पत्नी को चरित्रहीन दिखाया जाता है ।
उसकी वर्दी को फाड़ते हुए चित्रण किया जाता है । हाल ही में तांडव नामक वेब सीरीज में हिंदुओं के आराध्य देव महादेव का अपमानजनक चित्रण किया जाता है ।इसके पहले पाताल लोक में भी हिंदुओं की भावनाओ का खुला अनादर किया गया था ।
अ सूटेबल बॉय वेब सीरीज में मंदिर में अश्लील दृश्य दिखाए गए थे । लक्ष्मी बम में विवाद के बाद बम शब्द हटाया गया था ।
कृष्ण एंड हिज लीला वेब सीरीज में भगवान कृष्ण के चरित्र से खिलवाड़ किया गया था ।
‘AK vs AK’ में वायुसेना की इमेज से खिलवाड़ किया गया । एक बात सूरज के प्रकाश की तरह बिल्कुल साफ है कि कुछ लोगों द्वारा जानबूझकर बहुसंख्यक समाज की आस्थाओं को निरंतर अपमानित करके अपनी वेब सीरीज का बिना पैसे में विज्ञापन कर रहे है ।
उनका लालच जिहादी नफरत के साथ ज्यादा जहरीला हो गया है उन्हें भड़का कर हिंसा की ओर मोड़ने का प्रयास किया जा रहा है । ऐसे में यदि हिन्दू समाज हिंसक हो जाय तो कोई अशहिष्णुता का पाठ नही पढ़ाये ,
मुझे लगता है वो समय दूर नही जब इस देश का हिन्दू हाथ मे हथियार उठाकर खुद न्याय करने लगे इसलिए मेरा न्यायपालिका एवम सरकार से आग्रह है की सेंसर बोर्ड के दृढ़ीकरण के अतिरिक्त
इस पर कठोर कानून बनाये इस प्रकार का कार्य करने वालों को कम से कम 5 वर्षों तक प्रतिबंध के साथ 3 वर्ष का कठोर कारावास हो।
- प्रो. चिंतामणि मालवीय
भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष